बातचीत पाठ का सारांश
लेखक – बालकृष्ण भट्ट
बालकृष्ण भट्ट का जन्म – 23 जून 1844
बालकृष्ण भट्ट का निधन – 20 जुलाई 1914
बालकृष्ण भट्ट का निवास स्थान – इलाहाबाद (प्रयागराज),उत्तर प्रदेश
बालकृष्ण भट्ट के माता – पार्वती देवी
बालकृष्ण भट्ट के पिता – बेनी प्रसाद भट्ट (जो एक व्यापारी थे)
बालकृष्ण भट्ट आधुनिक काल के भारतेंदु युग के प्रमुख साहित्यकार थे ।
बातचीत पाठ का प्रश्नोत्तर के लिए नीचे जाए ;
वे कहते हैं कि जैसे आदमी को जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने,चलने-फिरने इत्यादि की जरूरत है,वैसे ही बातचीत भी अति आवश्यक है इससे चित हल्का और स्वच्छ हो जाता है और मवाद जो हृदय में जमा रहता है,वह भाप बनकर उड़ जाता है। बेन जॉनसन कहते हैं कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है।
लेखक ने बातचीत के प्रकार को भी बताया है। एडिशन मानते हैं कि असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है अर्थात जब दो लोग होते हैं तभी अपना दिल एक दूसरे के सामने खोलकर बातें करते हैं। लेखक के अनुसार 3 लोगों के बीच की बातचीत केवल फॉर्मेलिटी होती है।
लेखक कहते हैं कि यूरोप के लोगों में बातचीत का हुनर है। जिसे आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन कहते हैं। इनके प्रसंग को सुनके कान को अत्यंत सुख मिलता है। इसे सहृदय गोष्ठी भी कहते हैं। अंततः बालकृष्ण भट्ट कहते हैं कि हमें अपने अंदर ऐसी शक्ति पैदा करनी चाहिए जिससे हम अपने आप बातचीत कर ले और बातचीत का यही उत्तम तरीका है।
बातचीत पाठ के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर :-
1. ‘बातचीत’ शीर्षक निबन्ध के निबंधकार हैं
उत्तर- बालकृष्ण भट्ट
2. बालकृष्ण भट्ट किस युग के रचनाकार हैं
उत्तर- भारतेन्दु युग
3. ‘सौ अज्ञान एक सुजान’ उपन्यास के लेखक कौन हैं :
उत्तर- बालकृष्ण भट्ट
4. आर्ट ऑफ कनवरसेशन कहाँ के लोगों में सर्वाधिक प्रचलित है?
उत्तर- यूरोप के
5. बालकृष्ण भट्ट ने किस पत्रिका का संपादन किया था?
उत्तर- प्रदीप
6. बातचीत के माध्यम से बालकृष्ण भट्ट क्या बतलाना चाहते हैं?
उत्तर- बातचीत की शैली।
7. निम्नलिखित में से बालकृष्ण भट्ट का निवास स्थान कौन-सा है?
उत्तर- इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश।
8. अगर हम में वाक्शक्ति न होती तो क्या होता ?
उत्तर- अगर हममे वाक्शक्ति न होती तो यह समस्त सृष्टि गूंगी प्रतीत होती । सभी लोग चुपचाप बैठे रहते , हम जो बोलकर सुख और दुःख का अनुभव करते है , वाक्शक्ति न होने के कारण हम वो नही कर पाते ।
9. बातचीत के सम्बन्ध में वेन जॉनसन और एडिशन के क्या विचार है ?
उत्तर – बातचीत के सम्बन्ध में वेन जॉनसन का राय यह है कि बोलने से ही मनुष्य के सही रूप का पता चल पता है । अगर मनुष्य चुप – चाप रहे तो उसके गुण तथा अवगुण का पता नही चल पायेगा । ऐसे व्यक्ति के व्यक्तित्व को पहचनना कठिन होता है।
वहीं एडिसन की राय है की असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में ही हो सकती है , जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो व्यक्ति एक दुसरे से आपस में बात करते है तो वे अपने दिल की बातें साझा कर देते हैं, परन्तु अगर कोई तीसरा व्यक्ति उनके बीच चला/सम्मिलित हो जाता है तो वे फिर बेझिझक अपनी दिल की बात नहीं करते है।
10. ‘ आर्ट ऑफ़ कन्वर्सेशन ‘ क्या है ?
उत्तर- यह बात करने की एक ऐसी कला होती है जिसमे बातचीत के दौरान चतुराई के साथ प्रसंग छोड़े जाते है जिन्हें सुनकर अत्यंत सुख मिलता है ।
यह कला यूरोप के लोगो में ज्यादा पाई जाती है ।
11. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नविन संसार की रचना कर सकता है ?
उत्तर – मनुष्य में बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्म वार्तालाप है । मनुष्य अपने अन्दर ऐसी शक्ति विकसित करे जिसके कारण वह अपने आप से बात कर लिया करे । आत्म वार्तालाप इसलिए जरुरी है ताकि क्रोध पर नियंत्रण पाया जा सके जिससे दुसरो को कष्ट न पहुचे । क्योकि हमारी भीतर की मनोवृति नए रंग दिखाया करती है । वह हमेसा बदलती रहती है । इन्सान को चाहिए कि वो अपने जिह्वा पर काबू रखे तथा अपने मधुर वाणी से दुसरे को प्रसन्न । ऐसा करने से किसी से न तो कटुता रहेगी और ना ही किसी से बैर । इससे दुनिया खुबसूरत हो जाएगी । यही बातचीत का उत्तम तरीका है ।
12. व्याख्या करें :-
( a ) हमारी भीतरी मनोवृति नये नये रंग दिखाती है । वह प्रपंचात्मक संसार का एक बड़ा भारी आइना है , जिसमे जैसी चाहो वैसी सूरत देख लेना कोई दुर्घट बात नहीं है ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित पाठ बातचीत ‘ से ली गई है । मनुष्य की भीतरी मनोवृति प्रत्येक क्षण नए – नए रंग दिखाती है अर्थात उसमे नए नए विचार आते रहते है । वह इन प्रपंचो से पूर्ण संसार एक बड़ा आईना है जिसमे ऐसी घटना को भी देखा जा सकता है जिसके घटित होने की आशा न हो । अर्थात हमारी भीतरी मनोवृति हमे संसार के समस्त अच्छे – बुरे कार्यों से अवगत कराती है । तक उसका गुण दोष प्रकट नही
( b ) सच है जब तक मनुष्य बोलता नहीं होता ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तिया विद्वान लेखक बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित पाठ बातचीत से लिया गया है । निबंध के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बातचीत ही एक ऐसा विशेष तरीका होता है जिसके कारण मनुष्य आपस में प्रेम से बाते कर उसका आनंद उठाते है परन्तु मनुष्य जब वाचाल हो जाता है अथवा बातचीत के दौरान अपने आप पर काबू नही रख पाता है तो वह दोष है परन्तु जब वही सलीके से बातचीत करता है तो वह गुण है ।मनुष्य के चुप रहने के कारण उसके चरित्र का कुछ पता नहीं चलता परन्तु वह जैसे ही कुछ बोलता है तो उसकी वाणी के माध्यम से उसके गुण और दोष प्रकट होने लगता है ।
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