साना-साना हाथ जोड़ी प्रश्न अभ्यास।
Sana-Sana hath Jodi, Class 10, Hindi, Kritika.
प्रश्न 2 . गंतोक को “मेहनतकश बादशाहों का शहर” क्यों कहा गया ?
उत्तर : गंतोक को “मेहनतकश बादशाहों का शहर” इसलिए कहा गया है क्योंकि यहाँ के लोग बहुत मेहनती है तथा अपनी मेहनत रोटी खाते हैं। यह शहर एक पहाड़ी भू-भाग में बसा हैं, जहाँ जिंदगी मैदानी भागों वाले लोगों के अपेक्षा बहुत कठिन होती हैं। मशीनों पर निर्भर रहने के बजाय , ये लोग खुद की लगन व मेहनत पर ज्यादा विश्वास करते हैं।
गंतोक शहर का प्रकृति की गोद में बैठे होने के कारण यहां के लोग अपनी जरूरत की अधिकतर वस्तुओं को प्रकृति से ही लेते हैं। जिसके लिए इनको काफी मेहनत करनी पड़ती हैं। लेकिन ये पूरी तरह से आत्मनिर्भर होकर अपना जीवन आराम से बिताते हैं। इसलिए लेखिका ने गंतोक को “मेहनतकश बादशाहों का शहर” कहा है।साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
प्रश्न 3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है ?
उत्तर : बौद्ध धर्म का मूल सिद्धांत ही सत्य और अहिंसा है। बौद्ध धर्मावलंबी अलग-अलग अवसरों पर अलग अलग तरह की पताकाएँ फहराते हैं । कुछ पताकाएं शांति और अहिंसा का प्रतीक होती है तो कुछ नए कार्य की शुभारम्भ की। इन पताकाओं में कुछ मंत्र लिखे होते हैं।साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
बौद्ध धर्म में किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाने पर उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत (सफेद) पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। जिन्हें कभी उतारा नहीं जाता है। धीरे धीरे ये पताकाएँ खुद ही नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति , वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।
उत्तर : निम्न्लिखित जानकारियां , जितेन नोर्गे द्वारा लेखिका को दी गयी है :-
- गाइड बताता है की सिक्किम एक पहाड़ी भू-भाग है, जहाँ के रास्ते घुमाओदार है।
- वे आगे कहते हैं की प्रकृति ने सिक्किम को अनेक अद्भुत चीजों से है, जैसे खूबसूरत बगीचा , चांदी सी चमकती आशमान , पर्वत एवं झरनों।
- यहाँ से 149 किलोमीटर दूर युमथांग हैं , जहाँ फूलों से भरी वादियां हैं। रास्ते में कवी-लॉन्ग स्टॉक है गाइड फिल्म की शूटिंग हुई थी।
- आगे जाकर उन्हें सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल्स भी मिलते हैं । रास्ते में अनेक पताकाएं मिलने पर, जीतें बताते हैं की बौद्ध धर्म में किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाने पर उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत (सफेद) पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। और की शुरुआत की शुरुवात से पहले रंगीन पताकाएं फ़राए जाती है।
- दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सिक्किम के लोगों का जीवन बहुत आसान नहीं है।यहाँ के बच्चे दुर्गम पहाड़ी रास्तों से विद्यालय जाते हैं तथा शाम को अपनी मांओं के साथ मवेशियों को चराने जाते हैं। जंगलों से लकड़ी के गठ्ठर सिर पर लाद कर घर लाते हैं। और दूर से पानी भर कर लाते हैं।
- पहाड़ी महिलाएं कुदाल और हथौड़ी से दिन भर पत्थर तोड़ने का काम करती हैं। साथ में बड़ी सी टोकरी में बच्चों को भी अपनी पीठ पर लादे रहती हैं।साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
उत्तर : जब लेखिका ने लॉन्ग-स्टॉक में एक कुटिया के भीतर घूमते हुए देखा तो बारे में जानने की जिज्ञासा हुई अपने गाइड से इस बारे प्रश्न की। तभी बताया की लोगों का मानना है की यदि कोई व्यक्ति इस चक्र को घुमाता है तो उसकी साड़ी पाप धूल जाएंगे। मैड्डनी क्षेत्र में गंगा नदी को लेकर ऐसी धारणा है।
हमारे देश के अलग अलग प्रांतों में अलग अलग धर्म , संप्रदाय , जाति के लोग रहते हैं। और इन सबकी अपनी-अपनी आस्थायें , अपने अपने विश्वास हैं। साथ ही इनमें कुछ अंधविश्वास भी व्याप्त हैं। हर धर्म के लोग उस परमपिता को किसी न किसी रूप में अवश्य मानते हैं। सिक्किम में जब लेखिका ने आस्था व विश्वास को “प्रार्थना चक्र” के रूप में देखा तो उन्हें लगा कि पूरे भारत की आत्मा एक सी हैं।
प्रश्न 6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर : गाइड वह व्यक्ति होता है , जिसे अपने इलाके के कोने-कोने के बारे में पता हो। जितेन नार्गे एक बहुत ही कुशल गाइड था उसे अपने क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जानकारी थी । वह वहां आने वाले सभी पर्यटकों को न सिर्फ प्रसिद्द पर्यटक स्थल दिखाता था बल्कि उस क्षेत्र विशेष की सभी जानकारियां भी पर्यटकों के साथ साझा करता था। गाइड की निम्न विशेषताएं होनी चाहिए। साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
- एक गाइड को अपने इलाके की भौगोलिक स्थिति , जलवायु तथा इतिहास पता होना चाहिए।
- गाइड को सहनशील व शिष्ट होना चाहिए और आने वाले पर्यटकों के साथ उसका व्यवहार मधुर होना चाहिए।
- हर गाइड को अपने पर्यटकों के साथ एक आत्मीय रिश्ता कायम करना अनिवार्य है। ताकि पर्यटक उस पर विश्वास कर सकें।
- गाइड को कुशल के साथ-साथ बुद्धिमान भी होना चाहिए ताकि वे विषम परिस्थिति में भी अपने पर्यटक को बचा सके।
- गाइड को पर्यटकों के साथ अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 7. इस यात्रा वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है। उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
चांदी की तरह कौंध मारती बनी ठनी तीस्ता नदी हिमालय के सौंदर्य की पराकाष्ठा थी । हिमालय के करीब पहुंचते ही लेखिका को लग रहा था जैसे हिमालय विशाल से विशालतम होता जा रहा हैं।
हिमालयी रास्ते एकदम संकरे और जलेबी की तरह टेढ़े-मेढ़े से थे। जहां चलना बेहद कठिन था ।हिमालय की घाटियों में बने छोटे-छोटे मकान ऐसे लग रहे थे जैसे ताश के पत्तों से घरों को बनाया गया हो।
जीवन की अनंनता का प्रतीक झरने लेखिका को जीवन की शक्ति का एहसास करा रहे थे। हिमालय के इन दुर्लभ नजारों को देख कर लेखिका का भीतर एक अनोखी ऊर्जा का संचार हो रहा था। वे काव्यमय हो चुकी थी। साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
प्रश्न 8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
फूलों , घाटियों , पर्वतों , झरनों व दुर्लभ नजारों यानी प्रकृति के हर रूप व सौंदर्य को लेखिका आत्मविभोर होकर अपने मन में समा लेना चाहती थी।
प्रश्न 9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए ?
प्रश्न 10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है।उल्लेख करें?
उत्तर : सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में निम्न लोगों का योगदान , सराहनीय होता है साना-साना हाथ जोड़ी ka summary
- वे सरकारी लोग जो व्यवस्था में संलग्न होते हैं।
- वहाँ के स्थानीय गाइड जो उस क्षेत्र की सर्वथा जानकारी रखते हैं।
- वहाँ के स्थानीय लोग जो सैलानियों के साथ रुचि से बातें करते हैं।
- वे सहयोगी यात्री जो यात्रा में मस्ती भरा माहौल बनाए रखते हैं और कभी निराश नहीं होते हैं। उत्साह से भरपूर होते हैं।
उत्तर :लेखिका के मन में यह बात तब आयी जब उन्होंने सिक्किम की उन खूबसूरत वादियों व दिलकश नजारों के बीच वहां की कठोर जिंदगी को बहुत करीब से देखा। चाहे वो पलामू व गुमला के जंगलों में अपनी पीठ पर बच्चों को कपड़े से बाँधकर पत्तों की तलाश में वन-वन डोलती आदिवासी युवतियों हो या हाथ में कुदाल और हथोड़ा लिए पत्थर तोड़ते महिलाओं की कठोर जिंदगी। ये गरीब युवतियों , किसान, औरतें , अपने कठिन परिश्रम से सिक्किम को ज्यादा मनमोहित तथा आकर्षक बना रही जिसका सीधा असर बढ़ती पर्यटकों की संख्या पर पड़ेगा और ये बेहतर आर्थिक देश बनने मदद करती है।
प्रश्न 12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए?
उत्तर : प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने के क्रम में आज पहाड़ों पर प्रकृति की शोभा को नष्ट किया जा रहा है। वृक्षों को काटकर पर्वतों को नंगा किया जा रहा है। शुद्ध, पवित्र नदियों को विविध प्रकार से प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। नगरों का, फैक्टरियों का गंदा पानी पवित्र नदियों में छोड़ा जा रहा है। सुख-सुविधा के नाम पर पॉलिथिन का अधिक प्रयोग और वाहनों के द्वारा प्रतिदिन छोड़ा धुंआ पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। इस तरह प्रकृति का गुस्सा बढ़ रहा है, मौसम में परिवर्तन आ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
प्रकृति के साथ खिलवाड़ को रोकने में हम सहयोग दे सकते हैं
- वर्तमान में खड़े वृक्षों को न काटें और न काटने दें।
- यथासंभव वृक्षारोपण करें और दूसरों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करें।
- वाहनों का प्रयोग यथासंभव कम करें। सब्जी लाने और व्यर्थ सड़कों पर घूमने | में वाहनों का उपयोग न करें।
- पॉलीथिन, अवशिष्ट पदार्थों तथा नालियों के गंदे पानी को नदियों में न जाने दें
प्रश्न 13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।
इसी प्रकार प्रदूषित पानी पीने से अनेक परेशानियां लगातार इंसानी जान की दुश्मन बनी गयी है। ध्वनि प्रदूषण से कम सुनाई देना या बहरा होना , ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना जैसी बीमारियां लोगों के सामने आ रही है।
प्रदूषण के कारण मौसम चक्र में भी बदलाव आया हैं । कभी अत्यधिक बारिश हो जाती है तो कभी सूखा पड़ जाता है। और बादल का फटना अब आम बात हो गई है।
जहरीली गैसों के कारण ओजोन परत सिकुड़ गई है। धरती का तापमान बढ़ने लगा है। ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ गया है जिससे ग्लेशियर पिघलने शुरू हो गए हैं और समुद्र में पानी का स्तर बढ़ने लगा है।
प्रश्न 14. “कटाओ” पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
प्रश्न 15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
प्रश्न 16. देश की सीमा पर बैठे फौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
जो हर वक्त हमारी सलामती के लिए दुश्मनों से दो-दो हाथ करने को तैयार रहते हैं। हमें उन वीर सैनिकों के प्रति हमेशा सम्मान की भावना रखनी चाहिए। न सिर्फ वीर सैनिकों बल्कि उनके परिवार वालों के प्रति भी हमारे दिलों में आदर व सम्मान होना चाहिए। और जब भी हम ईश्वर से अपने लिए प्रार्थना करते हैं , हमें अपनी प्रार्थनाओं में उनकी सलामती की दुआ को भी अवश्य शामिल करना चाहिए। साना-साना हाथ जोड़ी ka summary